श्रीमद्भागवत कथाश्रवन मात्र से ही मानव जीवन के पाप कट जाते है और मानव रूपी शरीर का उद्धार होता है-आचार्य कृष्णमणि त्रिपाठी

श्रीमद्भागवत कथाश्रवन मात्र से ही मानव जीवन के पाप कट जाते है और मानव रूपी शरीर का उद्धार होता है-आचार्य कृष्णमणि त्रिपाठी


बस्ती । जिले के बढ़नी ग्राम में चंद्र प्रकाश मिश्र के यहाँ आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस का कथा प्रराम्भ हुआ, व्यास के रूप प्रतिष्ठित वैयाकरण आचार्य कृष्णमणि त्रिपाठी जी द्वारा श्रोताओं को भगवान की कथा सुनाई गई। 

कथा का महत्व बताते हुए कहा कि

मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया।

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ ही जीवन का उद्धार का आधार होता है कथा के सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने का भी ज्ञान प्राप्त होता है

व्यासपीठाधीश्वर ने भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। 


भजन मंडली के कलाकारों , वेंकटेश त्रिपाठी , राजीव शुक्ल , अनुराग पाण्डेय एवं अम्बरीष त्रिपाठी की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे।

कथा में मुख्य यजमान चन्द्र प्रकाश मिश्र सा पत्नी एवं,पंकज मिश्रा,स्कन्द मिश्र,मानिक चन्द्र मिश्र,प्रेम चन्द्र मिश्र,ओम प्रकाश मिश्र,धर्मेन्द्र मिश्र, धीरेन्द्र मिश्र सहित तमाम ग्रामवासी एवं मित्रगण कथा में मौजूद रहे..

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